किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार shiv chalisa in hindi एकादशी
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
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